राजस्थान में 3 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। भाजपा के दूसरे उम्मीदवार ओमकार सिंह लाखावत के नाम वापस नहीं लेने से अब वोटिंग होना तय हो गया है। राज्यसभा चुनाव के लिए बुधवार को नाम वापसी का अंतिम दिन था। राज्यसभा चुनाव में व्हिप जारी होने से विधायकों की ओपन वोटिंग होती है, इसलिए क्रॉस वोटिंग की संभावना कम है। लेकिन, मौजूदा समय में कांग्रेस में असंतोष नजर आ रहा है उसे देखते हुए भाजपा ने लखावत को मैदान में उतारने का फैसला लिया है।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा- भाजपा राज्य की दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कटारिया ने कहा- हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। मध्यप्रदेश और गुजरात के हालातों को लेकर कटारिया ने कांग्रेस पर तंज कसा। उन्होंने कहा- राजस्थान में जिस तरह कांग्रेस अन्य राज्यों के विधायकों की अनदेखी कर रही है उसे देखते हुए तो यहां भी बाड़ेबंदी लिए कांग्रेस को तैयार रहना चाहिए। वहीं, मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस का एक भी विधायक नाराज नहीं है, जहां तक बाड़ेबंदी की बात है तो इसके लिए भाजपा तैयार रहे।
कांग्रेस के लिए वेणुगोपाल और भाजपा के लिए राजेंद्र पहली प्राथमिकता
कांग्रेस ने पहली प्राथमिकता केसी वेणुगोपाल और दूसरी नीरज डांगी को दी है। भाजपा ने पहली प्राथमिकता राजेंद्र गहलोत और दूसरी ओमकार सिंह लाखावत को दी है। प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 51 वोट चाहिए। कांग्रेस को अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 200 विधायकों में से 102 के वोटों की जरूरत है जो आसानी से जीतते दिख रहे हैं। कांग्रेस के 108 (6 बसपा और एक आरएलपी शामिल) विधायक है। साथ ही 12 निर्दलीयों समर्थन भी है। कुल संख्या 120 हो रही है। यानी कांग्रेस के पास 120 वोट हैं।
यहां भाजपा के पहले उम्मीदवार की जीत तय है क्यों कि पार्टी के पास 73, तीन आरएलपी और एक निर्दलीय विधायक है। यानी भाजपा के पास 77 वोट हैं। दूसरे उम्मीदवार के लिए 26 वोट ही हो रहे हैं। दूसरे उम्मीदवार की जीत के लिए 25 और वोटों की जरूरत होगी जिसे पाना मुश्किल ही लगता है। वहीं माना जा रहा है कि बीटीपी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दो-दो विधायक कांग्रेस के समर्थन में वोटिंग करेंगे।
भाजपा ने इसलिए उतारा दूसरा उम्मीदवार
कांग्रेस ने अपने दूसरे उम्मीदवारों के तौर पर नीरज डांगी के नाम की घोषणा की। इस पर भाजपा में मंथन शुरू हुआ। यह बात खुलकर बाहर आ गई कि डांगी के नाम पर विधायक एकराय नहीं थे। इस पर प्रदेश भाजपा ने दूसरा उम्मीदवार खड़ा करने के बार में तय किया और फिर आलाकमान से चर्चा की।
क्या मिलेगा भाजपा को
इस चुनाव में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। कटारिया ने भी बुधवार को यही कहा। भाजपा के पास 23 अतिरिक्त वोट हैं। हालांकि पार्टी को लग रहा है कि डांगी को लेकर कुछ कांग्रेसी विधायक, बसपा और निर्दलीय विधायकों की नाराजगी का फायदा मिल सकता है। भाजपा को उम्मीद यह भी है कि सत्तापक्ष से जुड़े कुछ विधायक वोटिंग नहीं भी कर सकते हैं। साथ ही कुछ विधायक गलत या क्रॉस वोटिंग भी कर सकते हैं। ऐसे में दूसरे उम्मीदवार के वोटों की संख्या बढ़ सकती है।